बुधवार, 7 मई 2014

गुज़ारिश-ए-इनायत.....

बस, इतनी सी इनायत मुझ पर एक बार कीजिए...!
कभी आ कर मेरे ज़ख़्मों का दीदार कीजिए...!
हो जाएँ बेगाने आप शौक़ से सनम..!
आप के हैं, आप के रहेंगे एतबार कीजिए...!
पढ़ने वाले ही डर जाएँ देख कर इनको...!
किताब-ए-दिल, को इतना न दागदार कीजिए...!
ना मजबूर कीजिए, कि मैं उनको भूल जाउं..!
मुझे मेरी वफाओं को ना गुनहगार कीजिए...!
इन जलते दियों को देख कर ना मुस्कुराएँ..!
ज़रा हवाओं के चलने का इंतज़ार कीजिए...!
करना है इश्क़ आप से, करते रहेंगे हम...!
जो भी करना है आपको मेरी सरकार कीजिए..!
फिर सपनों का आशियाना बना लिया है मैंने...!
फिर आँधियों को आप खबरदार ना कीजिए...!
हमें ना दिखाएँ ये दौलत, ये शोहरत..!
हम प्यार के भूखे हैं, हमें प्यार कीजिए...!

बुधवार, 10 अप्रैल 2013


मुझ को बनकर याद तेरे दिल में बस जाने दे
आँखों में जो दर्द भरा है आज उसे बरस जाने दे

तू के बनकर शम्मां मुझे परवाना बन जल जाने दे
तेरी आँखों की कही को आज तू ग़ज़ल बन जाने दे

तन्हाईयों में तेरी याद को ही तेरा मंज़र बन जाने दे
तेरे एहसास को आज मेरी साँसों में घुल जाने दे

हिज्र की रात है खुद का मेरा ख्वाब बन जाने दे
चार दिन की जिंदगी है तेरी यादों में गुज़र जाने दे

काली घनी घटाओं की तरह तेरे गेसुओं को बिखर जाने दे
सदीयों का थका हूँ मैं, अपने आगोश में मुझे सो जाने दे

तेरी आँखों की मय को आज नाशाद तू जाम बन जाने दे
तेरा नज़ारा मेरी कलम से आज इक और मधुशाला बन जाने दे...

मंगलवार, 9 अप्रैल 2013


उसने आख़िरी मुलाक़ात करके,
मेरी ज़िंदगी की रात कर दी..!
अभी ठीक से उसको जाना भी नहीं था,
कि उसने जाने की बात कर दी..!
जिसे नाज़ था ग़ुरबत पे मेरी,
उसने शान पैसों की दिखा कर,
ज़ाहिर मेरी औकात कर दी..!
जिसके लहजे में सिर्फ़ हम तुम हुआ करते थे..
आज उसने शर्मिंदा मुझे,
पूछ कर मेरी जात कर दी..!
जिसकी चाहत में मैने ज़माना छोड़ा,
"आज उसने मुझे छोड़ कर,
वही सियासत मेरे साथ कर दी..!!"


ज़ख़्म-ए-दिल....


छोड़ दी तेरी दुनियां तेरी खुशी के लिए,
जी सकेंगे ना हम अब किसी के लिए,
तेरा मिलना और बिछड़ना एक ख्वाब था,
तेरी चाहत तो थी दिल की लगी के लिए,
मेरे आँगन में हर सू अंधेरा रहा,
चिराग ढूँढा बहुत रोशनी के लिए,
अपनी क़िस्मत में अश्कों की सौगात थी,
हम तरसते रहे तेरी इक हँसी के लिए,
तेरी जुदाई से बड़ा और क्या गम होगा
.'.'.'.'.'.'.'.'.'वैसे..'.'.'.'.'.'.'.'.
ज़ख़्म काफ़ी हैं यही ज़िंदगी के लिए......

एहसास-ए-दिल...


सिर्फ़ एहसास होता है चाहत में...
इकरार नहीं होता....
दिल से दिल मिलते हैं मोहब्बत में..
इनकार नहीं होता...
यह कब समझोगे मेरे दोस्तो...
दिल को लफ़्ज़ों की ज़रूरत नहीं होती...
खामोशी सब कुछ कह देती है...
प्यार में इज़हार नहीं होता…...दिल से..........  

आज का यथार्थ.... एक सच्चाई....


आज का यथार्थ.... एक सच्चाई....

परेशान थी पप्पू की वाइफ
नोन हैपनिग थी जो उसकी लाइफ
पप्पू को ना मिलता था आराम
ऑफीस में करता काम ही काम

पप्पू के बॉस भी थे बड़े कूल
प्रमोशन को हर बार जाते थे भूल
पर भूलते नहीं थे वो डेडलाइन
काम तो करवाते थे रोज़ टिल नाइन

पप्पू भी बनना चाहता था बेस्ट
इसलिए तो वो नहीं करता था रेस्ट
दिन रात करता वो बॉस की गुलामी
अप्रेज़ल की उम्मीद में देता सलामी

दिन गुज़रे और गुज़रे फिर साल
बुरा होता गया पप्पू का हाल
पप्पू को अब कुछ याद ना रहता था
ग़लती से बीवी को बहनजी कहता था

आख़िर एक दिन पप्पू को समझ आया
और छोड़ दी उसने अप्रेज़ल की मोह माया
बॉस से बोला, “तुम क्यों सताते हो ?”
अप्रेज़ल के लड्डू से बुद्धू बनाते हो”

प्रमोशन दो वरना चला जाउँगा”
अप्रेज़ल देने पर भी वापिस ना आउँगा”
पप्पू के बॉस भी था बड़ा कूल
बॉस हंस के बोला “नही कोई बात”
अभी और भी पप्पुस है मेरे पास”

यह दुनिया पप्पूओं से भरी है”
सबको बस आगे बढ़ने की पड़ी है”
तुम ना करोगे तो किसी और से कराउँगा ”
तुम्हारी तरह एक और पप्पू बनाउँगा”.... 

देख लेना.............



हम छोड़ जाएँगे सब, एक दिन देख लेना,
रोओगे बहुत तुम उस दिन देख लेना,
दुनिया में हैं तो परवाह नहीं हमारी,
छोड़ जाएँगे तुम्हें एक दिन देख लेना,
आँसू छुपाते फ़िरोगे जब सबसे तुम,
इतना ही हम याद आ जाएँ देख लेना,
कुछ यादें मीठी मीठी सी तुम को बहुत सताएँगी,
तुम खुद को ना रोक पाओगे देख लेना.
माना के कुछ नहीं हैं आज हम आपके लिए,
कल बस इक याद बन जाएँगे *देख लेना*....