खामोशियाँ...
बुधवार, 30 मई 2012
वजूदे इंसा.....
यह
कफ़न.. यह क़ब्र.. यह
जनाज़ा रस्म
-
ए
-
शरीयत
हैं
मर तो इंसान तब ही
जाते हैं जब याद करने
वाला कोई ना हो
.....
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