इंसानी फ़ितरत.....
जानता कोई कुछ भी नहीं...
लेकिन
अपने को समझदार सभी समझते हैं!
सब
खाली हाथ आए...सब
खाली हाथ जाएँगे...
लेकिन
मुट्ठी में दुनिया को क़ैद
करने की चाह सभी में है!
इंसान,
इंसान
भी तो बन नहीं पाता....
लेकिन
भगवान बनने की चाहत सभी में
है!
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