शुक्रवार, 10 फ़रवरी 2012


जो कहा उन्होंने तो हमने अपनी ज़िंदगी नीलाम कर दी,
अपनी ज़िंदगी उनके लिए दो पल की मेहमान कर दी,
अच्छा हुआ नाम ना आया उनका, नहीं तो वो कहती,
हमने अपनी ख़ुदग़रजी के लिए उनकी ज़िंदगी बदनाम कर दी….....




गुरुवार, 9 फ़रवरी 2012


अपनी ज़िंदगी का अलग ही उसूल है,
प्यार की खातिर, तो काँटे भी कुबूल है,
हंस के चल दूं, काँच के टुकुड़ों पर,
अगर वो प्यार से कहे,
यह मेरे बिछाए हुए फूल है...!!!



क़दर मां बाप की अगर कोई जान लेगा,
अपनी जन्नत को इस दुनियां में ही जान लेगा………….
फ़िक्र में बच्चों की कुछ इस तरह घुल जाती है मां
जवान होते हुए बूढ़ी नज़र आती है मां
रूह के रिश्तों की ये गहराइयाँ तो देखिए
चोट लगती है हमें और तड़पती है मां
सामने बच्चों के खुश रहती है हर हाल में
रात को छुप छुप के अश्क बरसाती है मां
कब ज़रूरत हो मेरे बच्चे को सोच कर
जागती रहती हैं आँखें और सो जाती है मां
मांगती नहीं कुछ अपने लिए अल्लाह से
अपने बच्चों के लिए दामन फैलाती है मां
बाज़ुओं में खींच के आ जाएगी जैसे कायनात
इस तरह बच्चों के लिए बाँहें फैलाती है मां
ज़िंदगी के सफ़र में गर्दिशों की धूप में
जब कोई साया नहीं मिलता तो याद आती है मां
प्यार कहते हैं किसे और ममता किया चीज़ है
कोई उन बच्चों से पूछे जिनकी नहीं है मां
चाहे हम खुशियों में भूल जायें दोस्तो
जब मुसीबत सर पर आए तो याद आती है मां
उमर भर गफील ना होना खुदा की याद से
रात दिन अपने अमल से समझती है मां
शुक्र हो ही नहीं सकता कभी इस का अदा
मरते मरते भी जीने की दुआ दे जाती है मां
मौत के आगोश में जब तक की सो जाती है मां
तब कहीं जा कर थोड़ा सा सुकून पाती है मां .....