बुधवार, 10 अप्रैल 2013


मुझ को बनकर याद तेरे दिल में बस जाने दे
आँखों में जो दर्द भरा है आज उसे बरस जाने दे

तू के बनकर शम्मां मुझे परवाना बन जल जाने दे
तेरी आँखों की कही को आज तू ग़ज़ल बन जाने दे

तन्हाईयों में तेरी याद को ही तेरा मंज़र बन जाने दे
तेरे एहसास को आज मेरी साँसों में घुल जाने दे

हिज्र की रात है खुद का मेरा ख्वाब बन जाने दे
चार दिन की जिंदगी है तेरी यादों में गुज़र जाने दे

काली घनी घटाओं की तरह तेरे गेसुओं को बिखर जाने दे
सदीयों का थका हूँ मैं, अपने आगोश में मुझे सो जाने दे

तेरी आँखों की मय को आज नाशाद तू जाम बन जाने दे
तेरा नज़ारा मेरी कलम से आज इक और मधुशाला बन जाने दे...

मंगलवार, 9 अप्रैल 2013


उसने आख़िरी मुलाक़ात करके,
मेरी ज़िंदगी की रात कर दी..!
अभी ठीक से उसको जाना भी नहीं था,
कि उसने जाने की बात कर दी..!
जिसे नाज़ था ग़ुरबत पे मेरी,
उसने शान पैसों की दिखा कर,
ज़ाहिर मेरी औकात कर दी..!
जिसके लहजे में सिर्फ़ हम तुम हुआ करते थे..
आज उसने शर्मिंदा मुझे,
पूछ कर मेरी जात कर दी..!
जिसकी चाहत में मैने ज़माना छोड़ा,
"आज उसने मुझे छोड़ कर,
वही सियासत मेरे साथ कर दी..!!"


ज़ख़्म-ए-दिल....


छोड़ दी तेरी दुनियां तेरी खुशी के लिए,
जी सकेंगे ना हम अब किसी के लिए,
तेरा मिलना और बिछड़ना एक ख्वाब था,
तेरी चाहत तो थी दिल की लगी के लिए,
मेरे आँगन में हर सू अंधेरा रहा,
चिराग ढूँढा बहुत रोशनी के लिए,
अपनी क़िस्मत में अश्कों की सौगात थी,
हम तरसते रहे तेरी इक हँसी के लिए,
तेरी जुदाई से बड़ा और क्या गम होगा
.'.'.'.'.'.'.'.'.'वैसे..'.'.'.'.'.'.'.'.
ज़ख़्म काफ़ी हैं यही ज़िंदगी के लिए......

एहसास-ए-दिल...


सिर्फ़ एहसास होता है चाहत में...
इकरार नहीं होता....
दिल से दिल मिलते हैं मोहब्बत में..
इनकार नहीं होता...
यह कब समझोगे मेरे दोस्तो...
दिल को लफ़्ज़ों की ज़रूरत नहीं होती...
खामोशी सब कुछ कह देती है...
प्यार में इज़हार नहीं होता…...दिल से..........  

आज का यथार्थ.... एक सच्चाई....


आज का यथार्थ.... एक सच्चाई....

परेशान थी पप्पू की वाइफ
नोन हैपनिग थी जो उसकी लाइफ
पप्पू को ना मिलता था आराम
ऑफीस में करता काम ही काम

पप्पू के बॉस भी थे बड़े कूल
प्रमोशन को हर बार जाते थे भूल
पर भूलते नहीं थे वो डेडलाइन
काम तो करवाते थे रोज़ टिल नाइन

पप्पू भी बनना चाहता था बेस्ट
इसलिए तो वो नहीं करता था रेस्ट
दिन रात करता वो बॉस की गुलामी
अप्रेज़ल की उम्मीद में देता सलामी

दिन गुज़रे और गुज़रे फिर साल
बुरा होता गया पप्पू का हाल
पप्पू को अब कुछ याद ना रहता था
ग़लती से बीवी को बहनजी कहता था

आख़िर एक दिन पप्पू को समझ आया
और छोड़ दी उसने अप्रेज़ल की मोह माया
बॉस से बोला, “तुम क्यों सताते हो ?”
अप्रेज़ल के लड्डू से बुद्धू बनाते हो”

प्रमोशन दो वरना चला जाउँगा”
अप्रेज़ल देने पर भी वापिस ना आउँगा”
पप्पू के बॉस भी था बड़ा कूल
बॉस हंस के बोला “नही कोई बात”
अभी और भी पप्पुस है मेरे पास”

यह दुनिया पप्पूओं से भरी है”
सबको बस आगे बढ़ने की पड़ी है”
तुम ना करोगे तो किसी और से कराउँगा ”
तुम्हारी तरह एक और पप्पू बनाउँगा”.... 

देख लेना.............



हम छोड़ जाएँगे सब, एक दिन देख लेना,
रोओगे बहुत तुम उस दिन देख लेना,
दुनिया में हैं तो परवाह नहीं हमारी,
छोड़ जाएँगे तुम्हें एक दिन देख लेना,
आँसू छुपाते फ़िरोगे जब सबसे तुम,
इतना ही हम याद आ जाएँ देख लेना,
कुछ यादें मीठी मीठी सी तुम को बहुत सताएँगी,
तुम खुद को ना रोक पाओगे देख लेना.
माना के कुछ नहीं हैं आज हम आपके लिए,
कल बस इक याद बन जाएँगे *देख लेना*....  

गुरुवार, 28 मार्च 2013



आज रूठी हुई इक बहना बहुत याद आई!
अच्छा गुज़रा हुआ कुछ वक़्त बहुत याद आया!
मेरी आँखों के हर इक अश्क पे रोने वाली!
आज जब ये आँख रोई तो वो बहुत याद आई!
जो मेरे दर्द को सीने में छुपा लेती थी!

आज जब दर्द हुआ मुझको तो वो बहुत याद आई!

जो मेरी आँख में काजल की तरह रहती थी सदा!
आज काजल जो लगाया तो वो बहुत याद आई!
जो मेरे दिल के थी क़रीब फकत उस को ही!
आज जब दिल ने बुलाया तो वो बहुत याद आई!!!!!

मंगलवार, 5 मार्च 2013

हाल-ए-दिल....


♥••♥ अगर कहो तो हाले दिल का सुनाउं तुमको
♥••♥ तमाम उमर अपने सामने बिठाउं तुमको

♥••♥ मेरे ज़ख़्मों का हाल पूछो अगर मेरे महबूब
♥••♥ तो एक एक ज़ख़्म की तफ़सील सुनाउं तुमको

♥••♥ मौत की नींद से भी गहरी एक नींद होती है
♥••♥ तेरे बाजुओं का हो तकिया तो दिखाउं तुमको

♥••♥ यही दुआ है क़ि वो वक़्त आए एक बार फिर
♥••♥ तुम जो रूठो तो हाथ जोड़ कर मनाउं तुमको

♥••♥ हर शख्स में मुझे एक रक़ीब नज़र आता है
♥••♥ बोल ए मेरेहम नवाज?
♥••♥ किस किस की नज़र से बचाउं तुमको....



गजब है तेरा नक़ाब साक़ी!
पिला दे मुझको शराब साक़ी?
इन्हीं को छूने की आरज़ू है
ये होंठ हैं या गुलाब साक़ी?
सुना है तेरी ही हाथ से है
इसी का पीना शबाब साक़ी.
हश्र में कहती हैं तोड़ देंगे!
ये आप अपना हिजाब साक़ी.

ख्वाब ए जिंदगी


सपना है आँखों में मगर नींद कहीं और है

दिल तो है जिस्म में मगर धड़कन कहीं और है

कैसे बयान करें अपना हाल-ए-दिल

जी तो रहे है मगर हमारी ज़िंदगी कहीं और है......




याद-ए-दोस्ती......


याद-ए-दोस्ती...... 

तुम्हारी याद आती है तो हम आँसू बहाते हैं
,


गुज़ारे थे कभी जो साथ दिन वो याद आते हैं
..

इसी उम्मीद पे हम ने खुला रखा है दरवाज़ा
,

सुना है शाम होते ही बिचारे लौट आते हैं
..

हक़रत से ना देखो ऐ एह्ले
-साहिल तूफान को,

कभी ऐसा भी होता है किनारे डूब जाते हैं
..

किसी से क्या गिला ये दस्तूर है ज़माने का
,

नये जब यार मिलते हैं पुराने 
तो भूले ही जाते हैं... ♥ 

तेरी ये पलकें.....

                       तेरी ये पलकें.....
तेरी पलकों के झुकने से

सहर
--शाम हाथों पे


तेरा ही नाम लिखने से


तेरे तैश--अदावट से


तेरी बे-जाया शिकायत से


यहाँ तक के सनम मेरे

तेरी हर एक आदत से


मुझे अब भी मुहब्बत है.... 







                     ये बेटियाँ ................
ये बेटियाँ कैसी होती हैं?
ये परियों जैसी होती हैं
,
ये बात बात पे हँसती हैं,
ये बात बात पे रोती हैं,
दिल होता है इनका नाज़ुक सा,
...ये भोली भाली होती हैं,
बाबा की लाड़ली होती हैं,
माँ की दुलारी होती हैं,
गुडियों से खेलता बचपन इनका,
इतनी जल्दी कैसे बीत गया?
आँगन सूना कर जाती हैं,
बाबा का दर्द समझती हैं,
मां के आँसू पोंछती हैं,
ये बेटियाँ ऐसी होती हैं...♥  

ख्वाब.....


                 ख्वाब........ 



बारिश का मौसम था ठंडी हवाएँ थीं,
एक दोस्त बोला तो शादी किससे करेगा,
मैने कहा मैं शादी शुदा हूँ,
कहने लगा कौन है तेरा जीवन साथी,
मैने कहा यादें हैं किसी की,
कहने लगा किसने पढ़ा था तेरा निकाह,
मैने कहा मुस्तकबिल के ख्वाबों ने,
वो बोला कैसी गुज़र रही है जिंदगी
मैं बोलने ही वाला था कि 
आँखों से आँसू छलक पड़े,
वो बोला छोड़ क्यों नहीं देता उसे...
मैने कहा हक़मेहर में अपनी "ज़िंदगी" लिखी हुई है....