खामोशियाँ...
मंगलवार, 5 मार्च 2013
तेरी ये पलकें.....
तेरी ये पलकें.....
तेरी पलकों के झुकने से
सहर
-
ओ
-
शाम हाथों पे
तेरा ही नाम लिखने से
तेरे तैश
-
ओ
-
अदावट से
तेरी बे
-
जाया शिकायत से
यहाँ तक के सनम मेरे
तेरी हर एक आदत से
मुझे अब भी
मुहब्बत है
....
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