खामोशियाँ...
मंगलवार, 5 मार्च 2013
ख्वाब ए जिंदगी
सपना है आँखों में मगर नींद कहीं और है
दिल तो है जिस्म में मगर धड़कन कहीं और है
कैसे बयान करें अपना हाल-ए-दिल
जी तो रहे है मगर हमारी ज़िंदगी कहीं और है......
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