गुरुवार, 28 मार्च 2013



आज रूठी हुई इक बहना बहुत याद आई!
अच्छा गुज़रा हुआ कुछ वक़्त बहुत याद आया!
मेरी आँखों के हर इक अश्क पे रोने वाली!
आज जब ये आँख रोई तो वो बहुत याद आई!
जो मेरे दर्द को सीने में छुपा लेती थी!

आज जब दर्द हुआ मुझको तो वो बहुत याद आई!

जो मेरी आँख में काजल की तरह रहती थी सदा!
आज काजल जो लगाया तो वो बहुत याद आई!
जो मेरे दिल के थी क़रीब फकत उस को ही!
आज जब दिल ने बुलाया तो वो बहुत याद आई!!!!!

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