सोमवार, 19 सितंबर 2011

कोलकाता यात्रा पर हुए एक तजुर्बे की याद.....


हर तरफ खुदा ही खुदा दिखता है यहाँ



इधर खुदा है, उधर खुदा है,


जिधर देखो उधर खुदा है,


इधर-उधर बस खुदा ही खुदा है


जिधर नही खुदा है….उधर कल खुदेगा!


कल नही तो परसों, लेकिन खुदेगा ज़रूर...

शनिवार, 17 सितंबर 2011


'अनजाने ही सही'



देखा न तुझे तो क्या पर दिल से महसूस किया,


अनजाने ही सही पर इसके एहसास पर नाज़ है,


जितना भरोसा था कल उससे ज़्यादा आज है,


ये रिश्ता वो नहीं जो गम और खुशी में साथ दे ना दे, 


ऐ बहना! तेरे अनजाने ही सही से कहने पर लगा,


ये रिश्ता वो है जो धागे की डोर से ना बँधा तो क्या, 


पर अनजाने ही में अपनेपन का एहसास दिला गया........


बुधवार, 14 सितंबर 2011


अंदाज़े जिंदगी.....




एक फूल बन कर भी क्या जीना,


एक दिन मार कर दफ़ना दिए जाओगे,


जीना है तो पत्थर बन कर जियो,


मूर्ति बन गये तो भगवान तो कहलाओगे....








महफिल......



दोस्तों की महफिल सजे जमाना हो गया,

लगता है जैसे खुल के ज़िए जमाना हो गया,

काश कहीं मिल जाए काफिला दोस्तों का,

अपनों से बिछड़े हुए जमाना हो गया.....




दोस्त ऐसे हों .........


रास्ते ऐसे हों जो चलने और निभाने को मजबूर करें,

मयखाने ऐसे हों जो पीने और पिलाने को मजबूर करें.

जब मौत का दामन थामना चाहे कोई,

तो दोस्त ऐसे हों जो जीने को मजबूर करें......



गुरुवार, 8 सितंबर 2011


एक इल्त्जा तुझसे.......

रूठ जाओ मुझसे तुम 
ऐसा कभी ना करना

मैं एक नज़र को तरसूं
ऐसा कभी ना करना

मैं पूछ पूछ हारू
सौ सौ सवाल करके
तुम कुछ जवाब ना दो
ऐसा कभी ना करना

मुझसे ही मिलके हँसना
मुझसे ही मिलके रोना
मुझसे रूठ के जी लो
ऐसा कभी ना करना

तुम चाँद बन के रहना
मैं देखता रहूँगा
किसी रोज़ तुम ना निकलो
ऐसा कभी ना करना

तुम चली जाओ जब भी
तो देखूं तुम्हारा रास्ता
तुम लौट के ना आओ
ऐसा कभी ना करना!!!




हैरत........


हैरत है तुम को देख के मस्जिद में...♥

क्या बात हो गई जो खुदा याद आ गया…..!!!



तस्वीर ए दिल......


तेरे ख़याल में रात गुज़र जाती है,

                                बेबसी के हाल में रात गुज़र जाती है,

तू मुझे याद करता है या नही
,

                                इसी सवाल में रात गुज़र जाती है
,

तेरे चेहरे का अक्स जहन में बनता है

तसव्वुर--हलाल में रात गुज़र जाती है,

                                 काश के तू हर वक़्त मेरे साथ रहे,

इसी सोच के जाल में रात गुज़र जाती है
,

                                 बगैर किस्मत के कुछ नहीं मिलता,

बस इसी मलाल में रात गुज़र जाती है...!!!


अपने जीवन में व्यस्त, अज़ीज मित्रों को समर्पित...


मिल जाए उलझनों से फ़ुर्सत तो ज़रा सोचना......



की क्या फुर्सतों में याद करने तक का रिश्ता है हमसे????????






नाज़....


अपने रिश्ते पर हमें नाज़ है,

कल जितना भरोसा था उससे ज़्यादा आज है,

रिश्ते वो नहीं जो गम और खुशी में साथ दें,

ये रिश्ता वो है जो अपनेपन का एहसास दे....




नाराज़गी........


ढूँढ रहे है वो हमको भूल जाने की तरीके,

* - दोस्त *

सोचता हूँ कि खफा होकर उनकी मुश्किल आसान कर दूं.....



दर्द.....


खुशियों की मोहताज है हमारी जिदंगी.. 
प्यारकी मोहताज है हमारी जिदंगी... 
हंस लेते है दुनिया को दिखाने के लिये ... 
वरना दर्द की किताब है हमारी जिदंगी........



मेरा गुनाह.....

वादे पे किसी की ज़िंदगी तबाह कर बैठे,
दीवानगी में उनकी कैसा गुनाह कर बैठे,
उस हसीन चाँद की आरजू के लिए,
सारे तारों की मोहब्बत फनाह कर बैठे.......



इंतजार..........


कितना खुश रहता था मेरा ये चेहरा,


अब तो बस रहता है, खामोशियों का पहरा


हमें अब तक यकीं नही कि, वो हमसे दूर हो गए


उसके लौटने के इंतजार में, न जाने कब सो गए


मैं तो भरी महफ़िल में भी उसको अपना कहता हूँ


ना जाने क्यों खुद में उलझा-उलझा रहता हूँ....


बुधवार, 7 सितंबर 2011

लम्हा.....


कोई लम्हा इस कदर आता है,

बीता हुआ कल नज़र आता है,

यादें बच जाती हैं याद करने के लिए,

वक़्त सब कुछ लेकर गुजर जाता है.....





उलझन...........



कहां गये इस समझदारी के दलदल में...




वो नादान बचपन ही खूबसूरत था....!!






अंदाज़........


ज़िंदगी में हर दम हंसते रहो,


हँसना ज़िंदगी की ज़रूरत है,

ज़िंदगी को इस "अंदाज़" में जियो,

कि ऐसा लगे आपको तकदीर की नही,

तकदीर को आपकी ज़रूरत है!