गुरुवार, 8 सितंबर 2011


एक इल्त्जा तुझसे.......

रूठ जाओ मुझसे तुम 
ऐसा कभी ना करना

मैं एक नज़र को तरसूं
ऐसा कभी ना करना

मैं पूछ पूछ हारू
सौ सौ सवाल करके
तुम कुछ जवाब ना दो
ऐसा कभी ना करना

मुझसे ही मिलके हँसना
मुझसे ही मिलके रोना
मुझसे रूठ के जी लो
ऐसा कभी ना करना

तुम चाँद बन के रहना
मैं देखता रहूँगा
किसी रोज़ तुम ना निकलो
ऐसा कभी ना करना

तुम चली जाओ जब भी
तो देखूं तुम्हारा रास्ता
तुम लौट के ना आओ
ऐसा कभी ना करना!!!



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