गुरुवार, 8 सितंबर 2011

अपने जीवन में व्यस्त, अज़ीज मित्रों को समर्पित...


मिल जाए उलझनों से फ़ुर्सत तो ज़रा सोचना......



की क्या फुर्सतों में याद करने तक का रिश्ता है हमसे????????





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