शनिवार, 17 नवंबर 2012
रविवार, 14 अक्तूबर 2012
मंगलवार, 21 अगस्त 2012
चेहरा...
चेहरा.........
मेरे चेहरे पर आज, एक और चेहरा
मैं देखता हूँ ,हर तरफ चेहरे पर एक और चेहरा
जब कभी लेकर चला, मैं अपना चेहरा
दुनिया को नही भाया मेरा, असली चेहरा
मैने भी ओढ़ लिया चेहरा, बिल्कुल वैसा
तुम्हे पसंद है, ये है अब वही चेहरा
असल में तो अब मेरे पास हैं, कई चेहरे
वक़्त के हिसाब से में बदल लेता हूँ, चेहरा
अब कहीं भी नहीं ले जाता हूँ, असली चेहरा
जब तक था, मेरे पास एक ही चेहरा
तुम्हे भी पसंद नहीं था, मेरा असली चेहरा
हक़ीकत तो ये है, खो गया है मेरा असली चेहरा.......
बुधवार, 30 मई 2012
कहता है मेरा दिल.....
वक्त भी चलते हुए घबरा रहा है आजकल,
वक्त भी चलते हुए घबरा रहा है आजकल,
कौन उसके
पैर को फिसला रहा है आजकल?
रास्ते
आसान है पर मंज़िलें मिलती
नहीं,
हर कोई
पत्थर से क्यों टकरा रहा है
आजकल?
न्याय
का दामन पकडकर चल रही है छुरियाँ,
सत्य
अपने आपमें धुँधला रहा है आजकल?
पतझडों
ने नींव रिश्तों की हिला दी
इस तरह,
पेड़ खुद
पत्तो से यूँ कतरा रहा है आजकल?
आप ने
चेहरे की खुशबू को सलामत रखिए,
एक भँवरा
आप पर मंडरा रहा है आजकल?
वक्त की
नादानियत या बेकरारी प्यार
की,
कौन ‘चातक’
मोम को पिघला रहा है आजकल?....
गुरुवार, 9 फ़रवरी 2012
क़दर मां बाप की अगर कोई जान लेगा,
अपनी जन्नत को इस दुनियां में ही जान लेगा………….
फ़िक्र में बच्चों की कुछ इस तरह घुल जाती है मां
जवान होते हुए बूढ़ी नज़र आती है मां
रूह के रिश्तों की ये गहराइयाँ तो देखिए
चोट लगती है हमें और तड़पती है मां
सामने बच्चों के खुश रहती है हर हाल में
रात को छुप छुप के अश्क बरसाती है मां
कब ज़रूरत हो मेरे बच्चे को सोच कर
जागती रहती हैं आँखें और सो जाती है मां
मांगती नहीं कुछ अपने लिए अल्लाह से
अपने बच्चों के लिए दामन फैलाती है मां
बाज़ुओं में खींच के आ जाएगी जैसे कायनात
इस तरह बच्चों के लिए बाँहें फैलाती है मां
ज़िंदगी के सफ़र में गर्दिशों की धूप में
जब कोई साया नहीं मिलता तो याद आती है मां
प्यार कहते हैं किसे और ममता किया चीज़ है
कोई उन बच्चों से पूछे जिनकी नहीं है मां
चाहे हम खुशियों में भूल जायें दोस्तो
जब मुसीबत सर पर आए तो याद आती है मां
उमर भर गफील ना होना खुदा की याद से
रात दिन अपने अमल से समझती है मां
शुक्र हो ही नहीं सकता कभी इस का अदा
मरते मरते भी जीने की दुआ दे जाती है मां
मौत के आगोश में जब तक की सो जाती है मां
तब कहीं जा कर थोड़ा सा सुकून पाती है मां .....
मंगलवार, 24 जनवरी 2012
ये
रिश्ते प्यार मोहब्बत के
आज़माए नहीं जाते
अगर
टूट भी जायें दिल से भुलाए
नहीं जाते
कोई
ख़ास ही होता है पलकों में जो
रहता है
हर
किसी को दिल मैं बसाया नहीं
जाता
सारे
सपनों की किराने तो हो जाती
है खुद रोशन
ख्वाब
प्यार के सोच समझ कर सजाए नहीं
जाते
मिट
जाता है सबकुछ मगर इस प्यार
के रिश्ते में
कुछ
अक्श कभी दिल से मिटाए नहीं
जाते
उनकी
जुदाई हमें बहुत तड़पाती है
हमारी
आँखें उनके बिना हर पल रो देती
है
इंतजार
के दिए अब हमसे जलाए नहीं जाते…
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