शनिवार, 17 नवंबर 2012


प्रभु के सजदे में क्यों फरियाद किए जाते हो.
अश्क यादों के बहाओ तो कोई बात बने
जिंदगी यूँ तो रो धो के गुजर जानी है
जिंदगी हंस के गुजारो तो कोई बात बने.
नेक इंसान हो, क्यों असुरों के कर्म करते होनेक इंसान बन के दिखाओ तो कोई बात बने...

रविवार, 14 अक्तूबर 2012


मुद्द्तों के बाद देखा उन्हें,
                 होश कैसे ठिकाने लगे
अश्क पलकों पर आए मेरी
                और लब थर
-थरथराने लगे
जाने कैसे हवा ये चली,
                 फूल फिर मुस्कुराने लगे
जिनको मुश्किल से भूले थे
                 हम फिर वही याद आने लगे
...  

हम आज भी दिल का आशियाना सजाने से डरते हैं,
बागों में फूल खिलाने से डरते हैं,
हमारी एक पसंद से टूट जायेंगे हज़ारों दिल,
तभी तो हम आज भी गर्लफ्रेंडबनाने से डरते हैं…...

निकले जब आँसू उसकी आँखों से,दिल करता है सारी दुनियां जला दूं,

फिर सोचता हूँ होंगे दुनियां में उसके भी अपने,
कहीं अंजाने में उसे और न रुला दूं....

रिश्ते तोड़ देती हैं ग़लतफ़हमियाँ,
इंसान को तन्हा कर देती हैं
ग़लतफ़हमियाँ,
न आने देना दिल के पास कभी इनको,
क्यूंकी दोस्त को दोस्त से जुदा कर
देती हैं ग़लतफ़हमियाँ…

आँखों को जब किसी की आदत हो जाती है
उसे देख के ही दिल को राहत हो जाती है
कैसे भूल सकता है कोई किसी को
जब किसी को किसी की आदत हो जाती है
मोहब्बत इस कदर हो जाती है उससे
कि रब से पहले उसकी इबादत हो जाती है .....

मुहब्बत को जब खुदा ने बनाया होगा.
तो इक बार खुद भी आजमाया होगा..
हम कौन
और तुम हो क्या..
इसने तो खुदा को भी रुलाया होगा....

छोटी से मुलाकात प्यार बन जाएगी,
ये कौन जानता था,
मेरी अपनी जिंदगी किसी और की बन जाएगी,
ये कौन जानता था,
दिन अधूरा सा होगा बिन उसके,
ये कब सोचा था,
वो खुद इतना करीब आएगी,
ये गुमान ना था,
और नसीब से लड़ना होगा उसे पाने के लिए
ये कभी सोचा ना था…

मंगलवार, 21 अगस्त 2012

चेहरा...



चेहरा.........

मेरे चेहरे पर आज, एक और चेहरा

मैं देखता हूँ ,हर तरफ चेहरे पर एक और चेहरा

जब कभी लेकर चला, मैं अपना चेहरा

दुनिया को नही भाया मेरा, असली चेहरा

मैने भी ओढ़ लिया चेहरा, बिल्कुल वैसा



तुम्हे पसंद है, ये है अब वही चेहरा

असल में तो अब मेरे पास हैं, कई चेहरे

वक़्त के हिसाब से में बदल लेता हूँ, चेहरा

अब कहीं भी नहीं ले जाता हूँ, असली चेहरा

जब तक था, मेरे पास एक ही चेहरा

तुम्हे भी पसंद नहीं था, मेरा असली चेहरा

हक़ीकत तो ये है, खो गया है मेरा असली चेहरा.......

बुधवार, 30 मई 2012

एक कशमकश....

हैं ख़ुद ही बेघर महल बनाने वाले,
अजब यह नज़ारा बार बार देखा,
ग़ुम है बचपन भीख की कटोरी में,
यह दस्तूर भी जग का निराला देखा,
मुस्कान की सीमा पर क़ैद है,
आँसू सब सपनों को क्यों अधूरा सा देखा,
ज़िंदगी हमने क्या क्या न देखा,
हर रूप में सब को तन्हा देखा.....


ग़लतियों से जुदा तू भी नहीं मैं भी नहीं,
दोनो इंसान हैं खुदा तू भी नहीं मैं भी नहीं,
तू मुझे और मैं तुझे इल्ज़ाम देते हैं मगर,
अपने अंदर झाँकता तू भी नहीं मैं भी नहीं,
चाहते दोनों बहुत एक दूसरे को हैं मगर,
ये हक़ीक़त है कि मानता तू भी नहीं मैं भी नहीं.....

कहता है मेरा दिल..... 

वक्त भी चलते हुए घबरा रहा है आजकल,
कौन उसके पैर को फिसला रहा है आजकल?

रास्ते आसान है पर मंज़िलें मिलती नहीं,
हर कोई पत्थर से क्यों टकरा रहा है आजकल?

न्याय का दामन पकडकर चल रही है छुरियाँ,
सत्य अपने आपमें धुँधला रहा है आजकल?

पतझडों ने नींव रिश्तों की हिला दी इस तरह,
पेड़ खुद पत्तो से यूँ कतरा रहा है आजकल?

आप ने चेहरे की खुशबू को सलामत रखिए,
एक भँवरा आप पर मंडरा रहा है आजकल?

वक्त की नादानियत या बेकरारी प्यार की,
कौन ‘चातक’ मोम को पिघला रहा है आजकल?....

राजे उल्फत....


कुछ राज हैं जो हम उनको बता  नहीं पाते,
कुछ आंसू हैं जो हम उनको दिखा नहीं पाते,
एक हम बदनसीब हैं जो उनको याद तक नहीं!
और
एक वो खुशनसीब हैं जिन्हें हम भूला  नहीं पाते! 

वो.....!!

उसे बारिश पसंद है
.
मुझे बारिश में वो...!!!

उसे हँसना पसंद है..
मुझे हँसती हुई वो...!!!

उसे बोलना पसंद है...
मुझे बोलती हुई वो..!!

उसे सब कुछ पसंद है....
और मुझे बस वो.....!!  

सफरनामा.....

कितनी दूर निकल गया मैं रिश्ते निभाते निभाते
,
खुद को खो दिया मैने अपनों को पाते- पाते,
लोग कहते है कि दर्द है मेरे दिल में,
और मैं थक गया मुस्कराते-मुस्कराते.....!!

इंसानी फ़ितरत.....


जानता कोई कुछ भी नहीं...

लेकिन अपने को समझदार सभी समझते हैं!

सब खाली हाथ आए...सब खाली हाथ जाएँगे...
लेकिन मुट्ठी में दुनिया को क़ैद करने की चाह सभी में है!

इंसान, इंसान भी तो बन नहीं पाता....
लेकिन भगवान बनने की चाहत सभी में है!

वजूदे इंसा.....
                           
यह कफ़न.. यह क़ब्र.. यह
जनाज़ा रस्म--शरीयत हैं
मर तो इंसान तब ही
जाते हैं जब याद करने 
वाला कोई ना हो.....

उस्ताद ए इश्क़ सच कहा तूने

बहुत ही नालायक हूँ मैं
,

मुद्दत से एक शख्स को अपना

बनाना भी नहीं आया
..!

शुक्रवार, 10 फ़रवरी 2012


जो कहा उन्होंने तो हमने अपनी ज़िंदगी नीलाम कर दी,
अपनी ज़िंदगी उनके लिए दो पल की मेहमान कर दी,
अच्छा हुआ नाम ना आया उनका, नहीं तो वो कहती,
हमने अपनी ख़ुदग़रजी के लिए उनकी ज़िंदगी बदनाम कर दी….....




गुरुवार, 9 फ़रवरी 2012


अपनी ज़िंदगी का अलग ही उसूल है,
प्यार की खातिर, तो काँटे भी कुबूल है,
हंस के चल दूं, काँच के टुकुड़ों पर,
अगर वो प्यार से कहे,
यह मेरे बिछाए हुए फूल है...!!!



क़दर मां बाप की अगर कोई जान लेगा,
अपनी जन्नत को इस दुनियां में ही जान लेगा………….
फ़िक्र में बच्चों की कुछ इस तरह घुल जाती है मां
जवान होते हुए बूढ़ी नज़र आती है मां
रूह के रिश्तों की ये गहराइयाँ तो देखिए
चोट लगती है हमें और तड़पती है मां
सामने बच्चों के खुश रहती है हर हाल में
रात को छुप छुप के अश्क बरसाती है मां
कब ज़रूरत हो मेरे बच्चे को सोच कर
जागती रहती हैं आँखें और सो जाती है मां
मांगती नहीं कुछ अपने लिए अल्लाह से
अपने बच्चों के लिए दामन फैलाती है मां
बाज़ुओं में खींच के आ जाएगी जैसे कायनात
इस तरह बच्चों के लिए बाँहें फैलाती है मां
ज़िंदगी के सफ़र में गर्दिशों की धूप में
जब कोई साया नहीं मिलता तो याद आती है मां
प्यार कहते हैं किसे और ममता किया चीज़ है
कोई उन बच्चों से पूछे जिनकी नहीं है मां
चाहे हम खुशियों में भूल जायें दोस्तो
जब मुसीबत सर पर आए तो याद आती है मां
उमर भर गफील ना होना खुदा की याद से
रात दिन अपने अमल से समझती है मां
शुक्र हो ही नहीं सकता कभी इस का अदा
मरते मरते भी जीने की दुआ दे जाती है मां
मौत के आगोश में जब तक की सो जाती है मां
तब कहीं जा कर थोड़ा सा सुकून पाती है मां .....

मंगलवार, 24 जनवरी 2012


ये रिश्ते प्यार मोहब्बत के आज़माए नहीं जाते
अगर टूट भी जायें दिल से भुलाए नहीं जाते
कोई ख़ास ही होता है पलकों में जो रहता है
हर किसी को दिल मैं बसाया नहीं जाता
सारे सपनों की किराने तो हो जाती है खुद रोशन
ख्वाब प्यार के सोच समझ कर सजाए नहीं जाते
मिट जाता है सबकुछ मगर इस प्यार के रिश्ते में
कुछ अक्श कभी दिल से मिटाए नहीं जाते
उनकी जुदाई हमें बहुत तड़पाती है
हमारी आँखें उनके बिना हर पल रो देती है
इंतजार के दिए अब हमसे जलाए नहीं जाते…

खामोश चेहरे पर हज़ारों पहरे होते हैं,
हँसती आंखों में भी ज़ख़्म गहरे होते हैं...
जिन से अक्सर रूठ जाते है हम,
असल में उनसे ही रिश्ते गहरे होते है..