गुरुवार, 9 फ़रवरी 2012


अपनी ज़िंदगी का अलग ही उसूल है,
प्यार की खातिर, तो काँटे भी कुबूल है,
हंस के चल दूं, काँच के टुकुड़ों पर,
अगर वो प्यार से कहे,
यह मेरे बिछाए हुए फूल है...!!!

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