मंगलवार, 5 मार्च 2013

ख्वाब.....


                 ख्वाब........ 



बारिश का मौसम था ठंडी हवाएँ थीं,
एक दोस्त बोला तो शादी किससे करेगा,
मैने कहा मैं शादी शुदा हूँ,
कहने लगा कौन है तेरा जीवन साथी,
मैने कहा यादें हैं किसी की,
कहने लगा किसने पढ़ा था तेरा निकाह,
मैने कहा मुस्तकबिल के ख्वाबों ने,
वो बोला कैसी गुज़र रही है जिंदगी
मैं बोलने ही वाला था कि 
आँखों से आँसू छलक पड़े,
वो बोला छोड़ क्यों नहीं देता उसे...
मैने कहा हक़मेहर में अपनी "ज़िंदगी" लिखी हुई है....

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