आज का
यथार्थ.... एक
सच्चाई....
परेशान
थी पप्पू की वाइफ
नोन हैपनिग
थी जो उसकी लाइफ
पप्पू
को ना मिलता था आराम
ऑफीस में
करता काम ही काम
पप्पू
के बॉस भी थे बड़े कूल
प्रमोशन
को हर बार जाते थे भूल
पर भूलते
नहीं थे वो डेडलाइन
काम तो
करवाते थे रोज़ टिल नाइन
पप्पू
भी बनना चाहता था बेस्ट
इसलिए
तो वो नहीं करता था रेस्ट
दिन रात
करता वो बॉस की गुलामी
अप्रेज़ल
की उम्मीद में देता सलामी
दिन गुज़रे
और गुज़रे फिर साल
बुरा
होता गया पप्पू का हाल
पप्पू
को अब कुछ याद ना रहता था
ग़लती
से बीवी को बहनजी कहता था
आख़िर
एक दिन पप्पू को समझ आया
और छोड़
दी उसने अप्रेज़ल की मोह माया
बॉस से
बोला, “तुम
क्यों सताते हो ?”
“अप्रेज़ल
के लड्डू से बुद्धू बनाते हो”
“प्रमोशन
दो वरना चला जाउँगा”
“अप्रेज़ल
देने पर भी वापिस ना आउँगा”
पप्पू
के बॉस भी था बड़ा कूल
बॉस हंस
के बोला “नही कोई बात”
“अभी और
भी पप्पुस है मेरे पास”
“यह दुनिया
पप्पूओं से भरी है”
“सबको
बस आगे बढ़ने की पड़ी है”
“तुम ना
करोगे तो किसी और से कराउँगा
”
“तुम्हारी
तरह एक और पप्पू बनाउँगा”....
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