खामोशियाँ...
बुधवार, 14 सितंबर 2011
महफिल......
दोस्तों
की
महफिल
सजे
जमाना
हो
गया
,
लगता
है
जैसे
खुल के
ज़िए
जमाना
हो
गया
,
काश
कहीं
मिल जाए काफिला
दोस्तों
का
,
अपनों
से
बिछड़े
हुए जमाना
हो
गया
.....
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें